Friday, May 22, 2009

Surrogate Mother-Dard ek maa ka

अपनी ये दुविधा कैसे मैं बोलूं
आँख मिचोली किसके संग खेलू
आँचल में अपने किसको मैं ले लूँ
संग संग जिसके हवा जैसे डोलूं

ममता की लोरी पलने की डोरी
गाऊँ मैं कैसे कोई सुनता ना मोरी
छोटी सी पूरी माखन कटोरी
खिलाऊँ किसे मैं मलाई गिलोरी

नन्ही सी आँखें तुतली सी बातें
सुलाऊँ किसे मैं जग जग कर रातें
कोमल से कर जो ताली बजाते
पल वो ढूँढू जो हमको सताते

किसको डांटू पागल कहकर
आंसू पोंछुं रो कर रुला कर
नैन कहाँ जिन्हें सपने देकर
अपना मानू जिनको पाकर

गोद है सूनी आँगन सूना
सूना पड़ा घर का हर कोना
ना कुछ पाना ना कुछ खोना
ना कोई मांगे कोई खिलौना

कोई नहीं जो आवाज़ लगाये
पल्लू खींचे मुझको बुलाये
जिद पे अपनी जो अड़ जाये
माने न मोरी और मुझको सताए

मेरा अपना जिसपे वारी जाऊं
बच्चा जिसकी माँ कहलाऊँ
दर्द है मेरा कैसे बताऊँ
कैसे बोलूं किसको सुनाऊँ

Dard ek maa ka

अपनी ये दुविधा कैसे मैं बोलूं
आँख मिचोली किसके संग खेलू
आँचल में अपने किसको मैं ले लूँ
संग संग जिसके हवा जैसे डोलूँ


पलने की डोरी ममता की लोरी
गाऊँ मैं कैसे कोई सुनता ना मोरी
छोटी सी पूरी माखन कटोरी
खिलाऊँ किसे मैं मलाई गिलोरी

नन्ही सी आँखें तुतली सी बातें
सुलाऊँ किसे मैं जग जग कर रातें
कोमल से कर जो ताली बजाते
पल वो ढूँढू जो हमको सताते

किसको डांटू पागल कहकर
आंसू पोंछुं रो कर रुला कर
नैन कहाँ जिन्हें सपने देकर
अपना मानू जिनको पाकर

गोद है सूनी आँगन सूना
सूना पड़ा घर का हर कोना
ना कुछ पाना ना कुछ खोना
ना कोई मांगे कोई खिलौना

कोई नहीं जो आवाज़ लगाये
पल्लू खींचे मुझको बुलाये
जिद पे अपनी जो अड़ जाये
माने मेरी और मुझको सताए

मेरा अपना जिसपे वारी जाऊं
बच्चा जिसकी माँ कहलाऊँ
दर्द है मेरा कैसे बताऊँ
कैसे बोलूं किसको सुनाऊँ