Thursday, August 20, 2015

सब याद आता है हमें------



शाम को ऑफिस से घर पारी लेकर आना
अलग अलग स्टाइल में आपसे फोटो खिचवाना
आपके स्कूटर पे हमें घुमाना
चश्मा लगाकर श्रीदेवी कहलाना

दिवाली पे भाई को पटाखे दिलवाना
आम के मौसम में आम काटके खिलाना
होली पे रंग और पिचकारी दिलवाना
शाम कोको आपके पैसे से पॉकेट भरवाना

हर लम्हे पे आपका साथ आना
पहले स्कूल और फॉर कॉलेज लेकर जाना
पेपर्स के दौरान हौंसला बढ़ाना
छुट्टियों पे घर पे नाचना और गाना

किसी खाने की चीज़ पे कभी मुस्काॅना और कभी मुँह चढ़ाना
अपनी पकाई चीज़ की तारीफ़ करना और करवाना
बैठे बैठे सो जाना और नींद में बतियाना
दिन भर पानी और चाय की ख्वाइश जताना

हर किसी  महफ़िल में गाने सुनाना
जीना अपनी शर्तों पे, हर शौक आज़माना
हर किसी का अच्छा चाहना
दिल खोल के सबको दावतें खिलाना

Thursday, April 30, 2015

Badalte Mausam


 
प्रक्रति पे जब जब हमने प्रहार किया
भूकम्प रूपी केहर नज़र आया दोस्तों
कोसते थे जो मनचाहा भोजन न मिलने के लिए
सूखी रोटी प्यार से खाते पाये गए दोस्तों

हवा के रुख को देख पानी का रुख ऐसा हुआ
बूंदे नाचती नज़र आई दोस्तों
पेड़ पे लगे पत्ते नीचे गिरने से डरने लगे
दौड़ते भागते नज़र आये दोस्तों

जीवन में ऐसी मौसमी आई
कि छोटे छोटे पल जीने की चाह हुई दोस्तों
जो बारिश बिन चाय के अच्छी नहीं लगी कभी
बंद में भी उमंगें भरने लगी दोस्तों