Thursday, April 30, 2015

Badalte Mausam


 
प्रक्रति पे जब जब हमने प्रहार किया
भूकम्प रूपी केहर नज़र आया दोस्तों
कोसते थे जो मनचाहा भोजन न मिलने के लिए
सूखी रोटी प्यार से खाते पाये गए दोस्तों

हवा के रुख को देख पानी का रुख ऐसा हुआ
बूंदे नाचती नज़र आई दोस्तों
पेड़ पे लगे पत्ते नीचे गिरने से डरने लगे
दौड़ते भागते नज़र आये दोस्तों

जीवन में ऐसी मौसमी आई
कि छोटे छोटे पल जीने की चाह हुई दोस्तों
जो बारिश बिन चाय के अच्छी नहीं लगी कभी
बंद में भी उमंगें भरने लगी दोस्तों
 

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