Saturday, May 11, 2019

माँ को प्रणाम 


हर जगह शब्दों से बुन रहा जंजाल है
किसी के अपने शब्द उसकी जीत का हाल हैं 

कोई सादे शब्द बोलकर विश्वास पाता है
कोई शब्दों से खेल वाह वाह पाता है 

पर माँ वो है, जिसका हर शब्द ममता का भाव है
उसकी डांट में परवाह और दुआ में मजधार की नाव है 

खुशियां फैलाती वो गम को छुपाती है
खुद को हमेशा मजबूत दिखाती है 

कितनी बार जीत कर हारी है माँ
एक छोटी सी हँसी पर बलिहारी है माँ 

ज़रुरत उसे भी है कोई उसकी परवाह करे
कभी सहलाये और कभी आगाह करे